हो जड़ चेतन के माली –
तनै करे पूतले त्यार तेरै तै हाथ मँ ताली।
जड़ चेतन का बीज माली, बोवण नै हो गया तैयार।
जल के ऊपर रची सृष्टि, क्यारी तो बणाई च्यार।
छोटे बड़े दरखत और बिरछा की लगाई लार।
न्यारे न्यारे सबके पत्ते, न्यारे न्यारे सबके मेल।
किसी के माँय दूध भरया, किसी के माँय भरया तैल।
हजार किसम की माली तनै़ दुनियाँ मै लगादी बेल।
हो – ना कोई जगह खाली –
ये करते भँवर गुँजार खिले़, फल फूल लता डाली ।।1।। हो जड़ चेतन…..
दूसरी क्यारी मँ तनै ऐसा तो बोया है बीज।
विष की भरी सारी चीजें़ जितनी तो बणाई चीज।
बिच्छू, सर्प बघेरा, मच्छर, भरड़ ततैया, जैया, तीज।
चकवा चकवी बोल रहे तोता मैना नाचै मोर।
हरियल और कुबेर फैन्सी, एक तरफ करे रे थे सोर।
हरियल कुबरी तोता मैना, चन्दा पर रहे झपट चकोर।
हो – कैसी छाईं हरियाली –
तेरे गुलशन बाग बहार कूकती है कोयल काली ।।2।। हो जड़ चेतन…..
तीसरी क्यारी मँ तनै छोड़ी नहीं रत्ती भूल।
जरख लोमड़ी, रींछ, भेड़िया पैदा किये सारदूल।
हाथी, शेर बघेरा, बन्दर, बड़े-बड़े अस्थूल।
गधा, घोड़ा, ऊँट, खच्चर सवारी का इंतजाम।
भेड़, बकरी, गऊ माता, स्वर्ग का बतावै धाम।
मरयां पाछ माली इनका, चमड़ा तक भी आवै काम।
हाँ – तू ऐसा टकसाली –
तेरे भरे रहे भण्डार कदे ना आवै कंगाली ।।3।। हो जड़ चेतन…..
चोथी तो क्यारी मै तनै, अपना दिखाया रूप।
कोई कोढ़ी, कोई कंगला, कोई तो बनाया भूप।
कोई कोई चातर करया, कोई करया बेवकूफ।
न्यारा न्यारा रंग रूप, न्यारी न्यारी रूह है।
जिधर देखूँ जड़ चेतन मँ दीखै तू ही तू है।
जर्रे जर्रे अन्दर रमी, ईश्वर तेरी बू है।
हो – तू सब का प्रतिपाली –
कह (लिखमीचन्द / श्रीकान्त) तू बण्या फिरै तू जग का रखवाली ।।4।। हो जड़ चेतन…..
बोल विराट कृष्ण भगवान की जय।।
बोल शंकर भगवान की जय।।
वोल नाथजी महाराज की जय।।
Be the gardener of the root conscious –
Tanai kare putle tyar terai tai tay haath me clap.
Root is the seed gardener of consciousness, sowing is not ready.
The world was created on the water, the water was created.
Saliva applied from small trees and shavings.
The leaves of everyone are different, the cards of everyone are different.
Filled someone’s mother’s milk, someone’s mother’s oil filled.
Thousand varieties of gardeners have planted vines in the world.
Yes – no empty space –
Doing this, the whirlpools blossomed, the vines blossomed. Yes root conscious…..
Seeds have been sown in the second bed like this.
Everything that is filled with poison is as much as anything made.
Scorpion, Serpent, Baghera, Mosquito, Bharad Wasp, Jaya, Teej.
Chakva Chakvi speaking parrot Maina nachai peacock.
Harial and Kuber are fancy, ek taar kare re thee soar.
Harial Kubri parrot Maina, chakor stayed on the donation.
Yes – what a greenery –
Tere Gulshan Bagh Bahar Kookti Hai Koel Kali ..2.. Yes root conscious…..
In the third bed, I didn’t leave any mistake.
The fox, the bear, the wolf produced the sardool.
Elephants, lions, boars, monkeys, big corpses.
Donkey, horse, camel, mule ride.
Sheep, goat, cow mother, the land of heaven.
They work for their gardeners, even leather.
Yes – you are such a stereotype –
Your stores are full. Yes root conscious…..
Fourthly, I have shown my form.
Some leper, some pauper, some made earth.
Some do chatter, some do stupid.
There is a different color form, a different unique soul.
Wherever I look, I see the root conscious, you are you.
Everywhere inside, God is your boo.
Yes – you are the guardian of all –
Say (Likhmichand / Shrikant) you banya firai, you are the keeper of the world. Yes root conscious…..
Say Virat Krishna God ki jai.
Bol Shankar Bhagwan ki Jai.
Wol nathji maharaj ki jai.