होली खेल रहे नन्दलाल,वृन्दावन की कुंज गलिन में।वृन्दावन की कुंज गलिन में,वृन्दावन की कुंज गलिन में॥
संग सखा श्याम के आये,रंग भर पिचकारी लाए।हो कर रहे सबका हाल बेहालवृन्दावन की कुंज गलिन में॥
वृन्दावन की कुंज गलिन में,वृन्दावन की कुंज गलिन में।होली खेल रहे नन्दलाल,वृन्दावन की कुंज गलिन में॥
चल गली रँगीली आए,ढप-झाँझ-मृदंग बजाए।गाँवें नाचें, छेड़ें तानवृन्दावन की कुंज गलिन में॥
वृन्दावन की कुंज गलिन में,वृन्दावन की कुंज गलिन में।होली खेल रहे नन्दलाल,वृन्दावन की कुंज गलिन में॥
रंग भर पिचकारी मारी,चूनर की आब बिगारी।मेरे मुख पे मला गुलालवृन्दावन की कुंज गलिन में॥
वृन्दावन की कुंज गलिन में,वृन्दावन की कुंज गलिन में।होली खेल रहे नन्दलाल,वृन्दावन की कुंज गलिन में॥
छवि निरख श्याम की प्यारी,सब भक्त बजावे तारी।सब पर रंग डाल रहे ग्वाल,वृन्दावन की कुंज गलिन में॥
वृन्दावन की कुंज गलिन में,वृन्दावन की कुंज गलिन में।होली खेल रहे नन्दलाल,वृन्दावन की कुंज गलिन