हम दीवानों को फ़िक्र क्या शिर्डी वाला साथ है

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हम दीवानों को फ़िक्र क्या शिर्डी वाला साथ है,
लाज अपनी अगर गई तो साईं जी को लाज है,

विष को अमृत में बदल दे ऐसा जादू गर कहा,
बेजामा का साईं प्यारा अपना तो सरताज है,
लाज अपनी अगर गई तो साईं जी को लाज है,
हम दीवानों को फ़िक्र क्या शिर्डी वाला साथ है,

चाहे कुछ करले जमाना हम साईं के हो गए,
साईं ही अंजाम अपना साईं ही अगाज है,
लाज अपनी अगर गई तो साईं जी को लाज है,
हम दीवानों को फ़िक्र क्या शिर्डी वाला साथ है,

सोंप कर जीवन प्रभु को हम तो बेपरवाह हुए,
अपने भगतो के सवारे साईं जी सब काज है,
लाज अपनी अगर गई तो साईं जी को लाज है,
हम दीवानों को फ़िक्र क्या शिर्डी वाला साथ है,

Do we care about the lovers of Shirdi?
If shame is lost, then Sai ji is ashamed.
Turning poison into nectar was such a magic, said
Bejama’s Sai Pyara is his own sartaj,
If shame is lost, then Sai ji is ashamed.
Do we care about the lovers of Shirdi?
Even though we have become Sai’s for some time,
Sai’s end is his own Sai’s beginning.
If shame is lost, then Sai ji is ashamed.
Do we care about the lovers of Shirdi?
We were careless by surrendering life to the Lord,
Sai ji, the rider of his devotees, is everything.
If shame is lost, then Sai ji is ashamed.
Do we care about the lovers of Shirdi?

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