हमारे गुरु मिले ब्रम्हज्ञानी

IMG 20220911 WA0036

हमारे गुरु मिले ब्रम्हज्ञानी,
पाई अमर निशानी ।
गुरु मिले ब्रम्हज्ञानी
हमारे गुरु मिले ब्रम्हज्ञानी

काग पलट गुरु हंसा किन्हे,
दीन्हि नाम निशानी ।
हंसा पहुंचे सुख-सागर पर,
मुक्ति भरे जहाँ पानी ॥
गुरु मिले ब्रम्हज्ञानी,
हमारे गुरु मिले ब्रम्हज्ञानी ॥

जल विच कुम्भ,कुम्भ विच जल है,
बाहर भीतर पानी ।
विकस्यो कुम्भ जल जल ही समाना,
यह गति विरले ने जानी ॥
गुरु मिले ब्रम्हज्ञानी,
हमारे गुरु मिले ब्रम्हज्ञानी ॥

है अथाह थाह संतन में,
दरिया लहर समानी ।
धीवर डाल जाल का करिहै,
जब नीम पिघल भए पानी ॥
गुरु मिले ब्रम्हज्ञानी,
हमारे गुरु मिले ब्रम्हज्ञानी ॥

अन्धो का ज्ञान, उजल तकि वाणी ,
सोहे अकछ कहानी ।
कहे कबीर गूंगे की सेना,जिन जानी उन मानी ॥
गुरु मिले ब्रम्हज्ञानी,
हमारे गुरु मिले ब्रम्हज्ञानी ॥

रचयिता – कबीर दासस्वरहरी ॐ शरण

Our Guru met the brahmajnani,
Immortal sign.
guru met brahjnani
our guru met brahjnani
Who laughed the guru over the paper,
Dinhi name sign.
Hansa reached the ocean of happiness,
Fill the liberation where the water
guru met brahjnani,
Found our guru brahmajnani
Water witch Aquarius, Aquarius witch is water,
Water inside.
Vikasyo Kumbh water is like water,
Rarely knew this speed.
guru met brahjnani,
Found our guru brahmajnani
is in the bottomless fathomless child,
The river is like a wave.
Put the fisherman on the net,
When neem melts water
guru met brahjnani,
Found our guru brahmajnani
Wisdom of the blind, Light till speech,
So some story.
Say Kabir, the army of the dumb, those who know them.
guru met brahjnani,
Found our guru brahmajnani
Author – Kabir Dasswarhari Om Sharan

Share on whatsapp
Share on facebook
Share on twitter
Share on pinterest
Share on telegram
Share on email

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *