जब कोई तकलीफ सताए जब जब मन घबराता है
मेरे सिरहाने खड़ा कन्हैया सर पे हाथ फिराता है
लोग ये समझे मैं हूँ अकेला मेरे साथ कन्हैया है
लोग ये समझे डूब रहा में चल रही मेरी नैया है
जब जब लहरें आती है ये खुद पतवार चलाता है
मेरे सिरहाने खड़ा कन्हैया…
जिनके आंसूं कोई ना पोछें कोई ना जिनसे प्यार करे
जिनके साथ ये दुनियां वाले मतलब का व्यव्हार करे
दुनियां जिसको ठुकराये उसे ये पलकों पे बिठाता है
मेरे सिरहाने खड़ा कन्हैया…
प्रेम की डोर बंधी प्रीतम से जैसे दीपक बाती है
कदम कदम पर रक्षा करता ये सुख दुःख का साथी है
‘संजू’ जब रस्ता नहीं सूझे प्रेम का दीप जलाता है
मेरे सिरहाने खड़ा कन्हैया…
When someone hurts, when the mind is nervous
Kanhaiya standing by my head turns his hand on the head
People understand that I am the only one with me Kanhaiya
People understand this is sinking in my boat
When the waves come, it steers itself
Kanhaiya standing by my head…
Whose tears no one wipes, whom no one loves
With whom this world’s meaning should deal
Whom the world rejects, it makes him sit on his eyelids
Kanhaiya standing by my head…
Pritam is tied to the strings of love like a lamp is wicking
This happiness protects at every step, is a companion of sorrow
‘Sanju’ lights the lamp of love when it does not know the way
Kanhaiya standing by my head…