चौथा जब नवरात्र हो, कुष्मांडा को ध्याते।
जिसने रचा ब्रह्माण्ड यह, पूजन है करवाते॥
आध्शक्ति कहते जिन्हें, अष्टभुजी है रूप।
इस शक्ति के तेज से कहीं छाव कही धुप॥
कुम्हड़े की बलि करती है तांत्रिक से स्वीकार।
पेठे से भी रीज्ती सात्विक करे विचार॥
क्रोधित जब हो जाए यह उल्टा करे व्यवहार।
उसको रखती दूर माँ, पीड़ा देती अपार॥
सूर्य चन्द्र की रौशनी यह जग में फैलाए।
शरणागत की मैं आया तू ही राह दिखाए॥
नवरात्रों की माँ कृपा करदो माँ।
नवरात्रों की माँ कृपा करदो माँ॥
जय माँ कुष्मांडा मैया।
जय माँ कुष्मांडा मैया॥
Fourth, when it is Navratri, meditate on Kushmanda.
The one who created this universe, gets it done.
What is called adhshakti, is octagonal form.
Somewhere in the shadow of this power, there is a shadow somewhere.
Sacrifice the pottery accepts from the tantrik.
Think of being Satvik more than Petha.
When he gets angry, he behaves the opposite way.
Mother keeping him away, giving immense pain
Spread the light of the sun and moon in this world.
I came as a refugee, show me the way.
Mother of Navratras please mother.
Mother of Navratras please mother
Jai Maa Kushmanda Maiya.
Jai Maa Kushmanda Maya