जैसा सोचोगे तुम वैसा बन जाओ गे,
जैसा कर्म होगा वैसा फल पाओ गे,
श्रीस्टी करू का आधार है खुद का करलो दर्शन यही जीवन का सार है,
जैसा सोचोगे तुम वैसा बन जाओ गे,
मन में हो शुभ संकल्प तो जीवन में फिर दुःख कैसा,
जब अन्तर में शुभ भावना दिल में सुख सावन जैसा,
हार कर जो ना हारे जीत उसी की होती है,
गणगौर अँधेरे में जलती जगमग उसकी ज्योति है,
जैसा देखो गे तुम वैसा बन जाओ गे,
जैसा सोचोगे तुम वैसा बन जाओ गे,
ये सूरज है तो है किरण,
बादल है तो है पवन,
प्राण है तो है है तन मन साथ सुरो में है सरगम,
धरती है तो है सागर जल थल है तो है जीवन,
जीवन है तो है भगवन,
जैसा सोचोगे तुम वैसा बन जाओ गे,
You will become what you think,
You will get the fruit of whatever you do.
The basis of Shristi Karu is Karlo’s own philosophy, this is the essence of life,
You will become what you think,
If you have good thoughts in your mind, then how can there be sorrow in life?
When there is a good feeling in the heart like happiness in the heart,
Victory belongs to the one who does not lose after losing.
Gangaur is its light burning in the darkness,
You will become what you see
You will become what you think,
If this is the sun, this is the ray.
If there is a cloud, there is a wind,
If there is life, then there is body, mind is in the music along with the sargam,
If there is earth, there is ocean, water is land, then there is life,
If there is life then it is God,
You will become what you think,