कहना कहना आन पड़ी मैं तेरे द्वार ।
मुझे चाकर समझ निहार ॥
तू जिसे चाहे ऐसी नहीं मैं,
हां तेरी राधा जैसी नहीं मैं ।
फिर भी हूँ कैसी, कैसी नहीं मैं,
कृष्णा मोहे देख तो ले अक बार ॥
बूँद ही बूँद मैं प्यार की चुन कर,
प्यासी रही पर लायी हूँ गिरिधर ।
टूट ही जाए आस की गागर,
मोहना ऐसी कांकरिया नहीं मार ॥
माटी करो या स्वरण बना लो,
तन को मेरे, चरणों से लगालो ।
मुरली समझ हाथों में उठा लो,
सोचो ना कछु अब हे कृष्ण मुरार ॥
I had to say that I have come to your door.
Look at me and understand
I am not whoever you want
Yes, I am not like your Radha.
Still how am I, how am I not,
If you see Krishna Mohe then take it once.
I choose love drop by drop,
I was thirsty but I have brought Giridhar.
If the hope is broken,
Mohana should not kill such Kankaria.
Do the soil or make a vowel,
Attach the body to my feet.
Take the murli in your hands,
Think no tortoise now O Krishna Murar