कण – कण में तेरा वास प्रभु,
जो करे दुखों का नाश प्रभु ,
दुनिया भर की खुशियां मेरे पास आ गई,
थारे धाम की माटी म्हारै रास आ गई ,
कोई नहीं दिख्यो अपणो , जद तू ही नजर मनै आयो
खाटू नगरी आ बैठयो , जब मेरो जी घबरायो
पैर धरयो खाटू मै , सांस मै सांस आ गई
खाटू धाम की माटी ..
खाटू की माटी का , हमने देखा अजब नजारा
क्या निर्धन क्या सेठ , सभी को इसने पार उतारा
दुनिया सारी करके , ये विश्वास आ गई
थारे धाम की माटी ..
रेत नहीं मामूली , ये तो है संजीवन बूटी
मौज करूं दिन सांवरा , सोऊं तान के खूंटी
होली और दीवाली , बारहों मास आ गई
खाटू धाम की माटी ..
तेरी इस पावन मिट्टी में , मैं मिट्टी हो जाऊँ
सदा – सदा के लिए , तेरे इन चरणों में सो जाऊँ
” नरसी ” के होंठो पे , इतनी प्यास आ गई
खाटू धाम की माटी ..
!! जय श्री श्याम जी !!
भजन प्रेषक : प्रदीप ” सिंघल ” ( जीन्द वाले )
Lord your abode in every particle,
Lord who destroys sorrows,
All the happiness of the world has come to me,
The soil of Thare Dham has come to my liking,
Don’t see anyone, you can only see me
Come sit in the city of Khatu, when I am afraid
Hold your feet, I have breathed my breath
The soil of Khatu Dham..
We saw a wonderful view of Khatu’s soil
Is it poor or Seth, it has crossed everyone
By doing the whole world, this belief has come
The soil of Thare Dham..
Sand is not minor, this is a lifesaving herb
Have fun the day, the pegs of sleep
Holi and Diwali, twelve months have come
The soil of Khatu Dham..
In this holy soil of yours, I will become the soil
Forever and ever, sleep at your feet
There is so much thirst on the lips of “Narsi”
The soil of Khatu Dham..
, Jai Shree Shyam ji !!
Hymn Sender: Pradeep “Singhal” (Jind Wale)