कीजिये बजरंग बलि भगतो पे किरपा कीजिये,
दीन हीन वीथियत को हनुमत शरण में ले लीजिये,
कीजिये बजरंग बलि भगतो पे किरपा कीजिये,
भेह सताये न कभी भी काले अतः विकराल का,
अंध काटो हे बलि मोह के जंजाल का,
भक्ति अमृत से हिरदे की गगरियाँ भर दीजिए,
कीजिये बजरंग बलि भगतो पे किरपा कीजिये,
शरणागत के हे पवन सूत आप ने है संकट हरे,
नाम जपले आप का जो पाप जन्मो के करे,
राम जी के काज साहदे तनिक मुझपे रिजिये,
कीजिये बजरंग बलि भगतो पे किरपा कीजिये,
भटकते संसार में हम भोज कष्टों का लिए,
झुकता है सिर शर्म से कुछ कर्म ही ऐसे किये,
आप पारस लखा लोहा मुझको बस छू दीजिये,
कीजिये बजरंग बलि भगतो पे किरपा कीजिये,
Do Bajrang Bali Bhagto,
Take the humbled lowly Veithiyat in Hanumant’s refuge,
Do Bajrang Bali Bhagto,
Don’t ever worry about black, so formidable,
Bite the blind, O sacrifice of the web of attachment,
Fill the doors of the heart with the nectar of devotion,
Do Bajrang Bali Bhagto,
O wind of refuge, you have caused trouble,
The sin you commit in your birth by chanting the name,
Please stay with me a little because of Ram ji,
Do Bajrang Bali Bhagto,
In the wandering world we feast for the sufferings,
The head bows down in shame, did some deeds only like this,
You Paras Lakha Iron just touch me,
Do Bajrang Bali Bhagto,