मैं तो सोये रही सपने में, मेरे घर आए गोपाल ।
मेरे घर आए गोपाल, मेरे घर आए गोपाल ॥
धीरे से आके वाने बंसी बजायी,
मधुर मुरलिया मेरे मन भाई ।
मैं तो सुन सुन हुई निहाल, मेरे घर आए गोपाल ॥
मैं तो सोये रही सपनों...
मोर मुकुट और जरी का दुशाला,
चंपा चमेली, गुलाबों की माला ।
मैं तो निरख-निरख बलिहार, मेरे घर आए गोपाल ॥
मैं तो सोये रही सपनों...
काँधे पड़ी थी वांके काली कमलिया,
तिरछे खड़े थे मोरे बांके साँवरिया ।
मोरे तन मन छायी बहार, मेरे घर आए गोपाल ॥
मैं तो सोये रही सपनों...
धीरे से आके वाने, मोको जगायो,
किरपा कर मोहे, कंठ लगायो ।
मेरे जग गए भाग सुहाग, मेरे घर आए गोपाल ॥
मैं तो सोये रही सपनों
मैं तो सोये रही सपने में, मेरे घर आए गोपाल
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