कभी देखा नहीं किसी का नसीबा,
जैसा लेखा विधाता ने मेरा,
क्या करू क्या करू मैं क्या करू,
बाल सखा कुछ ऐसे थे ना गइया न पैसे थे,
मन चंचल था बचपन का जिद माखन का कर बैठा,
धर्म यारी का मैंने निभाया हो चोर दुनिया ने मुझको बताया,
क्या करू क्या करू मैं क्या करू,
वे खुला रोज नहाती थी शर्म जरा नहीं आती थी,
उनको सबक सीखना था कपड़े मुझे छिपाना था,
कैसा दुनिया ने मुझको सताया देखो छलियाँ मुझको बताया,
क्या करू क्या करू मैं क्या करू,
कौरव भी मुझे प्यारे थे पांडव बड़े दुलारे थे,
लेकिन इक मजबूरी थी धर्म अधर्म की दुरी थी,
महाभारत को रोक नहीं पाया दोष सारा मेरे सिर पे आया,
कुल नाशक ये मोहन कहलाया
क्या करू क्या करू मैं क्या करू,
Never seen anyone’s luck,
As the accountant told me,
what to do what to do what should i do
The hair was like that neither went nor had money,
The mind was fickle, the insistence of childhood sat on the butter,
The thief world told me, I have performed Dharma Yaari.
what to do what to do what should i do
She used to bathe openly every day, there was no shame at all,
They had to learn a lesson, I had to hide clothes,
Look how the world harassed me, the deceit told me,
what to do what to do what should i do
The Kauravas were also dear to me, the Pandavas were very dear,
But there was a compulsion, religion was the distance of unrighteousness,
Could not stop Mahabharata, all the blame came on my head,
The total destroyer was called this Mohan
what to do what to do what should i do