क्यूँ भटके मन बावरे क्यूँ तू रोता है,
सांवरिये का प्रेमी होकर धीरज खोता है,
अगर विश्वास है प्यारे सांवरा साथ है प्यारे,
क्यूँ भटके मन…
उगता है गर सुबह को सूरज सांज को वो ढल जाता है,
यह जीवन भी इसी तरह है सुख दुख आता जाता है .
बल मांग प्रभु से जीने का सुख दुख के आंसू पीने का,
सुख में हँसता दुख में क्यूँ तू नैन भिगोता है.
सांवरिये का प्रेमी.
राम ने भी दुख काटे थे चौदह बरस वनवास में,
सांवरिये ने जन्म लिया देखो कारावास,
यह कहे कन्हैया धर्म करो बिन फल की इच्छा कर्म करो,
कर्म हमारा अच्छा कुल के पाप को धोता है,
सांवरिये का प्रेमी…
छोड़ दिखावा चकाचोंध तू काहे मनवा भरमाए,
ना जाने किस वेश में तेरे घर नारायण आ जाए,
सुख में ना कर तू खुदगर्जी सुख-दुख ‘रोमी’ प्रभु की मर्जी,
सांवरिये की रजा में क्यों ना राजू होता है,
सांवरिये का प्रेमी ,
रचना-गुरुदेव श्री हरमिंदर पाल सिंह जी रोमी
खलीलाबाद
स्वर-गिरधर महाराज भाटापारा छत्तीसगढ़
Why do you cry when you have lost your mind?
Being a lover of Saawariya loses patience,
If there is faith in the beloved Sawara, dear,
Why did your mind wander?
When the sun rises in the morning, it sets in the evening,
This life is also like this, happiness and sorrow come.
Asking for strength, the pleasure of living from the Lord, of drinking the tears of sorrow,
Laughing in happiness, why do you get soaked in sorrow.
Savory lover.
Ram had also suffered sorrow for fourteen years in exile.
Saawariya was born, see imprisonment,
Say this Kanhaiya, do dharma without desiring fruit.
Karma washes away the sin of our good family,
Saawariya’s lover…
Leaving pretense glare, why do you deceive yourself,
Don’t know in what disguise Narayan may come to your house,
Do not indulge yourself in happiness, happiness and sorrow, the will of the ‘Romi’ Lord,
Why is there no Raju in Saawariya Ki Raza?
Saawariya’s lover,
Composition – Gurudev Shri Harminder Pal Singh Ji Romi
Khalilabad
Swara-Girdhar Maharaj Bhatapara Chhattisgarh