मैं अमर हूं,   मैं अमृत हूं 

मैं उत्थान में हूं, मैं उत्कृष्टता में हूं

मैं आशा में हूं,   मैं उपकार में हूं

मैं निष्कपट में हूं  मैं चेतना में हूं

मैं संतोष में हूं , मैं योग में हूं

मैं हित में हूं, मैं सत्य में हूं

मैं हर्ष में हूं,   मैं  मनुष्यता में हूं

मैं धर्म में हूं मैं पुण्य में हूं

मैं मोक्ष हूं, मैं अलौकिक हूं

मैं अमर हूं,   मैं अमृत हूं 

पल पल मैं हूं

 मैं दिखावा में नहीं,  समर्पण में हूं

  मैं हूं, तो सुख शांति है

  मैं सर्वव्यापिक निराकार अनंत अकथनीय  अद्धितीय अतुलनीय  अवर्णनीय अभूतपूर्व अनुपम हूँ

  मैं वात्सल्य में हूं, भातृत्व में हूं,

 भक्ति में हूं मानवता में हूं

 मै युगल प्रेमियों के प्रेम में  हूं

  मैं दया करुणा त्याग समर्पण अर्पण में हूं

  मैं प्रत्येक संबन्ध की मधुरता में हूं

संजीवता में हूं,   मैं ही स्त्रोत्र हूं

ज़ीवन का मैं सार हूं

मैं  सत्य शिव सुन्दर हूं

  मैं हूँ तो धरा पर ही स्वर्ग हैं

जय जगदिश्वर श्री कृष्ण जी आपको भक्तों का बारंबार प्रणाम



I am in exaltation, I am in transcendence

I am in hope, I am in gratitude

I am in sincerity I am in consciousness

I am in contentment, I am in yoga

I am in interest, I am in truth

I am in joy, I am in humanity

i am in religion i am in virtue

I am salvation, I am supernatural

I am immortal, I am immortal

every moment i am

I am not in show off, I am in dedication

If I am there, there is happiness and peace.

I am the omnipresent formless infinite inexpressible unique incomparable indescribable unprecedented unique

I am in love, I am in brotherhood,

I am in devotion, I am in humanity

I am in love with couple lovers

I am in mercy, compassion, sacrifice and dedication.

I am in the sweetness of every relationship

I am alive, I am the source

I am the essence of life

I am Satya Shiva Sundar

I am there, there is heaven on earth.

Jai Jagdishwar Shri Krishna Ji, devotees salute you again and again.

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