मैं खाटू जाऊंगा फागन को आने दो ॥
भक्तों की होंगी कतारें मेले की होंगी बहारें,
खाटू की गलियों में देखो बाबा के गूंजे जयकारे ।
अब मैं ना मानूंगा रींगस से चलकर मैं निशान उठाऊंगा ॥
फागण को…
देखो यह शान हमारी हम हैं बाबा के पुजारी,
खाटू में बैठा है बाबा जाएंगे बन के भिखारी ।
अब मैं ना मानूंगा मंदिर में जाके मैं निशान चढ़ाऊँगा ।।
फागण को…
फागण में रंग रस बरसे प्यासा मन मिलने को तरसे,
कहता है “गिरधर” सबसे आओ निकल चलें घर से ।
अब मैं तो जाऊंगा उसको रिझाऊंगा यह गीत गाऊंगा ॥
फागण को…
गिरधर महाराज
I will go to Khatu, let Phangan come.
There will be queues of devotees outside the fair,
Look in the streets of Khatu, the echoing of Baba’s cheers.
Now I will not believe that I will raise the mark by walking with the rings.
To Phangan…
Look, this pride is ours, we are Baba’s priests,
Baba is sitting in the khatu and will go to become a beggar.
Now I will not believe that I will make a mark by going to the temple.
To Phangan…
Longing to meet the thirsty mind,
Says “Girdhar” everyone, let’s go out of the house.
Now I will go and sing this song to woo him.
To Phangan…
Girdhar Maharaj