मैंने झोली फैला दी कन्हैया,
अब खजाना तू प्यार का लुटा दे,
आया बन के मैं प्रेम पुजारी,
आया बन के मैं दर का भिखारी,
देदे झोली में इतना दयालु
मांग ने की ये आदत छुड़ा दे,
मैंने झोली फैला दी कन्हैया
मुझको इतनी शर्म आ रही है न जुबा से कही जा रही है,
तूने लाखो की बिगड़ी बनाई आज मेरी भी बिगड़ी बना दे,
मैंने झोली फैला दी कन्हैया
ऐसे कब तक चले गा गुजारा थाम ले आके दामन हमारा,
हो सके तो दया कर दयालु अपने चरणों की सेवा में लगा ले
मैंने झोली फैला दी कन्हैया
आज वनवारी दिल रो रहा है जो कभी न हुआ हो रहा है,
इक तमना है मरने से पहले अपना दर्शन मुझे भी करा दे,
मैंने झोली फैला दी कन्हैया
I spread my bag, Kanhaiya,
Now give away the treasure of love,
Come as I love priest,
I came as a beggar of the rate,
so kind in dede jholi
Demand to get rid of this habit,
I spread my bag Kanhaiya
I am so ashamed that it is being said with my tongue,
You have spoiled millions, today make me spoiled too.
I spread my bag Kanhaiya
How long did we last like this, by holding our arms,
If possible, kindly engage in the service of your feet.
I spread my bag Kanhaiya
Today Vanwari heart is crying which is never happening,
I have a desire, before you die, give me your darshan too.
I spread my bag Kanhaiya