दो नैना मैं बस गया मेरे चसका इन दरबारा का
मेरी मैया मेरी मैया मेरी मैया सामने आजा सै जब
गूंजे शोर जैकारा का
दिन मैं मैया रात ने मैया जागते सोते मैया सै
मैया बिन जिंदगानी का ना दूजा कोए खिवैया सै
और ठिकाना कोन्या कोए दुनिया मैं लाचारा का
घर के धंधे नुए चलैंगे भक्ति गैल जरुरी सै
माँ की कृप्या बिना या जिंदगी बिलकुल ही बे नूरी सै
भाई काम अधूरा रहता कोन्या माँ के सेवादारा का
बचपन तै मैं माँ का पुजारी माँ बेटे का नाता सै
व्रत करूँ नवरात्रे राखु पढू कहानी गाथा मैं
कमल सिंह जा बदल जीत मैं दुखड़ा सारी हारा का
Two Naina, I have settled in my court of love
my love
echo noise of jacara
Day, my night, my mother wakes up to sleep.
Maiya bin jindgani ka na dooja ko khivaiya sai
And the whereabouts of the helpless in the world
Home Business New Chalange Bhakti Gal Zari Sai
Without mother’s grace or life is absolutely useless
Brother’s work remains incomplete Konya’s mother’s servant
In childhood, I am the priest of the mother.
I should fast, read the story of Navratri Rakhu
Kamal Singh Jaa Badal Jeet Iin Sadhda All Lose Ka