घर को शिरडी बना दो साई

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मेरे घर साईं तेरा शिर्डी है दूर,
मेरे घर को ही शिरडी बना दो साईं,
मैं यहाँ भी रहू तेरी ही कहलाऊ,
अपने चरणों में जगा दो रे साईं,
मेरे घर से साईं तेरा शिरडी है दूर,
मेरे घर को ही शिरडी बना दो साईं,

शिर्डी से दूर हु मैं तो मजबूर हु,
आ सकता नही जब भी चाहू वाह,
इसी अरदास है दिल में ही प्यास है,
ये दूरियां अब तो मिटा दो साईं,
मेरे घर को ही शिरडी बना दो साईं,

आँखे बंद जब करू तुम को ही पाऊ मैं,
आँखे खोलू तो भी धन्य हो जाऊ मैं,
तेरे दीदार से मेरा कल्याण हो,
मेरे दिल में भी ज्योति जला दो रे साईं,
मेरे घर को ही शिरडी बना दो साईं,

जब भी संसार से बन के जाऊ हवा,
तब भी गोदी में अपने रखना सदा,
ना कोई फांसले न कोई मज़बूरी हो,
अपना चाकर तो बना लो साईं,
मेरे घर को ही शिरडी बना दो साईं,

Shirdi is far away from my home,
Make my home Shirdi only Sai,
I will stay here also to be called yours,
Wake up at your feet, Ray Sai,
Sai your Shirdi is far from my home,
Make my home Shirdi only Sai,

I am away from Shirdi, I am compelled,
Can’t come whenever I want Wow,
This is the prayer, there is a thirst in the heart itself,
Erase these distances now Sai,
Make my home Shirdi only Sai,

When I close my eyes, I can only find you,
I will be blessed even if I open my eyes,
May I be blessed by your presence,
Burn the flame in my heart too, Re Sai,
Make my home Shirdi only Sai,

Whenever I become air from the world,
Even then keep yours in the dock forever,
There should be no fence, no compulsion,
Make it your own Sai,
Make my home Shirdi only Sai,

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