मुझे अपना बनाया तूने क्यूँ कान्हा
मुझे अपना बनाया तूने क्यूँ कान्हा,
ध्यान करूँ ना गुणगान करूँ,
पर दिल से लगाया तूने क्यूँ कान्हा,
मुझे अपना बनाया तूने क्यूँ कान्हा……
ठुकराया गया इस जग में जो,
उसे फिर से हँसाया तूने क्यूँ कान्हा,
मुझे अपना बनाया तूने क्यूँ कान्हा…….
भक्ति की राह न जाने जो,
उसे चरण बिठाया तूने क्यूँ कान्हा,
मुझे अपना बनाया तूने क्यूँ कान्हा…..
उपवन में जिसके पतझड़ था,
खूब चमन खिलाया तूने क्यूँ कान्हा,
मुझे अपना बनाया तूने क्यूँ कान्हा….
जो योग्य नहीं तेरी रहमत का,
उसे धन्य बनाया तूने क्यूँ कान्हा,
मुझे अपना बनाया तूने क्यूँ कान्हा….
Why did you make me yours?
Why did you make me yours?
meditate or praise
But why did you put your heart in your heart?
Why did you make me yours?
Who was rejected in this world,
Why did you make him laugh again?
Why did you make me yours?
Those who do not know the path of devotion,
Why did you make him sit on your feet?
Why did you make me yours?
Whose autumn was in the garden,
Why did you feed a lot of tea, Kanha?
Why did you make me yours?
Who is not worthy of your mercy,
Why did you make him happy?
Why did you make me yours?