मुझे दे दर्शन गिरधारी रे,
तेरी सांवरी सूरत पे मैं वारि रे॥
जमुना तट हरी धेनु चरावे,,,
मधुर मधुर स्वर वेणु बजावे॥
तेरी काँधे कमरिया कारी रे॥
मुझे दे दर्शन
गिरधारी रे,
तेरी सांवरी सूरत पे मैं वारि रे॥
मोर मुकुट पीताम्बर सोहे,
देख रूप मुनि गण मन मोहे॥
तेरे कुंडल की छवि नयारी रे॥
मुझे दे दर्शन गिरधारी रे,
तेरी सांवरी सूरत पे मैं वारि रे॥
वृन्दावन में रास रचावे,
गोप गोपिका संग मिल गावे॥
तेरे नुपुर की धुन प्यारी रे॥
मुझे दे दर्शन गिरधारी रे,
तेरी सांवरी सूरत पे मैं वारि रे॥
भक्त हेतु हरि रूप बनाया,
ब्रह्मानन्द मेरे मन भाया॥
औ तेरे चरण कमल बलिहारी रे॥
मुझे दे दर्शन गिरधारी रे,
तेरी सांवरी सूरत पे मैं वारि रे॥