न देना चाहे कुबेर का धन

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ना देना चाहे कुबेर का धन,
मगर सलीका सहूर देना।
       उठा के सर जी सकूँ जहाँ में,
       बस इतनी इज़्ज़त जरूर देना ।

ना बैर कोई न कोई नफरत, नज़र न आये कहीं बुराई ।
हर एक दिल में तू दे दिखाई, मेरी नज़र को वो नूर देना ॥
उठा के सर जी सकूँ…

बड़ी ना मांग में चीज़ तुमसे, औकात जितनी है मांगता हूँ ।
जो घाव दुःख ने दिए हैं दिल में, तू उसका मरहम जरूर देना ॥
ना देना चाहे कुबेर का धन…

( जब तक बिक ना था, तो कोई पूछता ना था
तुमने खरीद कर मुझे अनमोल कर दिया )

मैं मांगता हूँ ऐ मेरे कान्हा, वो चीज़ मुझको जरूर देना ।
मिले ज़माने के सारी दौलत, मगर ना मुझको गुरूर देना ॥
उठा के सर जी सकूँ जहां में…

ना देना चाहे कुबेर का धन, मगर सलीका सहूर देना ।
उठा के सर जी सकूँ जहाँ में, बस इतनी इज़्ज़त जरूर देना ॥

Uploaded By – श्री यादव (दिनेश) जबलपुर.

Don’t want to give Kuber’s money,
But give a gentle gesture.
Wake up sir where I can live,
Just give so much respect.
No hatred, no hatred, no evil can be seen anywhere.
You are visible in every heart, give that light to my eyes.
Wake up sir i can live…
Not in great demand, I ask you for whatever you deserve.
The wound which sorrow has given in the heart, you must give its ointment.
Don’t want to give Kuber’s money…
(Till it was not sold, no one would ask
You made me precious by buying
I ask, O my Kanha, definitely give that thing to me.
All the wealth of the era, but don’t be proud of me.
Wake up sir where I can live…
Don’t want to give Kuber’s money, but give a good Sahoor.
Wake up sir where I can live, just give so much respect.
Uploaded By – Mr. Yadav (Dinesh) Jabalpur.

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