परिश्रम करे कोई कितना भी लेकिन,
कृपा के बिना काम चलता नहीं है,
निराशा निशा नष्ट होती ना तब तक,
दया भानु जब तक निकलता नहीं है,
अमित वासनाये अमित रूप ले कर,
अंत करण में उपद्रव मचाती,
तब फिर कृपासिंधु श्री राम जी के,
अनुग्रह बिना मन सम्बलता नहीं है,
म्रगवारी जैसे असत इस जगत से,
पुरुषार्थ के बल पर बचना है मुश्किल,
श्री हरि के सेवक जो छल छोड़ बनते,
उन्हें फिर ये संसार छलता नहीं है,
सद्गुरू शुभाशीष पाने से पहले,
जलता नहीं ग्यान दीपक भी घर में,
बहती न तब तक समर्पण की धारा,
अहंकार जब तक घलता नहीं है
राजेश्वरानन्द आनंद अपना,
पाकर ही लगता है ये जग जाल सपना,
तन बदले कितने भी पर प्रभु भजन बिन,
कभी जन का जीवन बदलता नहीं
No matter how hard someone works,
Work doesn’t work without grace,
Disappointment would have destroyed Nisha till then,
Until Daya Bhanu leaves,
Amit Vasanaye taking the form of Amit,
In the end Karan creates a nuisance,
Then again by grace of Sindhu Shri Ram ji,
Without grace there is no strength in the mind,
From this unreal world like a madman,
It is difficult to survive on the strength of effort.
The servants of Shri Hari who would have become deceitful,
This world does not deceive them again,
Before getting good guru blessings,
Gyan lamp does not burn even in the house,
Till the stream of surrender does not flow,
Until the ego dissolves
Rajeshwaranand Anand Apna,
Only after getting this world seems like a trap dream,
No matter how much the body changed, but without worshiping the Lord,
people’s life never changes