कान्हा कान्हा मेरे कान्हा कान्हा,
पायलियाँ कान्हा कान्हा पुकारे,
आ कान्हा यमुना के किनारे,
तेरे संग रास रचाऊ गी कान्हा नैनो में तुझको छुपाऊ गी,
प्यालियाँ कान्हा कान्हा पुकारे,
आ कान्हा यमुना के किनारे,
कब से मैं आ के बैठी हु तेरे इन्तजार में,
सुध बुध बुला गई कान्हा तेरे ही प्यार में,
दीवानी हो गई तेरी मुरली की तान पे,
मेरी सुबह और शाम है तेरे ही नाम से,
तेरे ही नाम से ही तेरे ही नाम से,
पायलियाँ कान्हा कान्हा पुकारे………
तू भी है बिन आधा मैं भी हु अधूरी,
सँवारे सलोने आके मिल चाहत को करदे पूरी,
मैं तो फस गई तेरे नैनो के जाल में खोई रहु सदा मैं तेरे ख्यालो में,
पायलियाँ कान्हा कान्हा पुकारे,
Kanha Kanha my Kanha Kanha,
Payalian calls Kanha Kanha,
Aa Kanha on the banks of Yamuna,
I will hide you in Kanha nano with you.
The cups call Kanha Kanha,
Aa Kanha on the banks of Yamuna,
Since when have I come and sat waiting for you,
Sudh Budh called Kanha in your love,
You have become crazy on the tone of your murli,
My morning and evening are in your name,
By your name only by your name,
Payalian kanha kanha calle………
You are also without half I am also incomplete,
Come clean and fulfill your desire to meet,
I have been trapped in the net of your nano, I am always in your thoughts,
Payalian calls Kanha Kanha,