प्रभु हम पे कृपा करना,
प्रभु हम पे दया करना ।
बैकुंठ तो यही है, हृदय में रहा करना ॥
गूंजेगे राग बन कर वीणा की तार बनके,
प्रगटोगे नाथ मेरे ह्रदय में प्यार बनके ।
हर रागिनी की धुन पर स्वर बन कर उठा करना,
बैकुंठ तो यही है, हृदय में रहा करना ॥
नाचेंगे मोर बनकर हे श्याम तेरे द्वारे,
घनश्याम छाए रहना बनकर के मेघ कारे ।
अमृत की धार बनकर प्यासों पे दया करना,
बैकुंठ तो यही है, हृदय में रहा करना ॥
तेरे वियोग में हम, दिन रात हैं उदासी,
अपनी शरण में लेलो हे नाथ ब्रज के वासी ।
तुम सो हम शब्द बन कर प्राणों में रमा करना,
बैकुंठ तो यही है, हृदय में रहा करना ॥स्वरहरी ॐ शरण
Lord have mercy on us,
Lord have mercy on us.
This is the backbone, stay in the heart.
Will resonate by becoming a raga and become the strings of the veena,
Pragatoge Nath become love in my heart.
To raise the tone of every ragini’s melody,
This is the backbone, stay in the heart.
O Shyam will dance by becoming a peacock,
Ghanshyam stays in the clouds and becomes cloudy.
Be kind to the thirsty by becoming a torrent of nectar,
This is the backbone, stay in the heart.
In your separation we are day and night sadness,
Take refuge in your shelter, O people of Braj, Nath.
You so we become words and suffocate in our souls,
This is the Baikunth, stay in the heart.