चौपाई-
प्रभु हनुमंतहि कहा बुझाई।
धरि बटु रूप अवधपुर जाई।।
भरतहि कुसल हमारि सुनाएहु।
समाचार लै तुम्ह चलि आएहु।।
तुरत पवनसुत गवनत भयऊ।
तब प्रभु भरद्वाज पहिं गयऊ।।
नाना बिधि मुनि पूजा कीन्ही।
अस्तुति करि पुनि आसिष दीन्ही।।
मुनि पद बंदि जुगल कर जोरी।
चढ़ि बिमान प्रभु चले बहोरी।।
इहाँ निषाद सुना प्रभु आए।
नाव नाव कहँ लोग बोलाए।।
सुरसरि नाघि जान तब आयो।
उतरेउ तट प्रभु आयसु पायो।।
तब सीताँ पूजी सुरसरी।
बहु प्रकार पुनि चरनन्हि परी।।
दीन्हि असीस हरषि मन गंगा।
सुंदरि तव अहिवात अभंगा।।
सुनत गुहा धायउ प्रेमाकुल।
आयउ निकट परम सुख संकुल।।
प्रभुहि सहित बिलोकि बैदेही।
परेउ अवनि तन सुधि नहिं तेही।।
प्रीति परम बिलोकि रघुराई।
हरषि उठाइ लियो उर लाई।।
छंद-
लियो हृदयँ लाइ कृपा निधान सुजान रायँ रमापति।
बैठारि परम समीप बूझी कुसल सो कर बीनती।।
अब कुसल पद पंकज बिलोकि बिरंचि संकर सेब्य जे।
सुख धाम पूरनकाम राम नमामि राम नमामि ते।।
सब भाँति अधम निषाद सो हरि भरत ज्यों उर लाइयो।
मतिमंद तुलसीदास सो प्रभु मोह बस बिसराइयो।।
यह रावनारि चरित्र पावन राम पद रतिप्रद सदा।
कामादिहर बिग्यानकर सुर सिद्ध मुनि गावहिं मुदा।।
भावार्थ-
लंका विजय के पश्चात प्रभु ने हनुमान्जी को समझाकर कहा- तुम ब्रह्मचारी का रूप धरकर अवधपुरी को जाओ। भरत को हमारी कुशल सुनाना और उनका समाचार लेकर चले आना।
पवनपुत्र हनुमान्जी तुरंत ही चल दिए। तब प्रभु भरद्वाजजी के पास गए। मुनि ने (इष्ट बुद्धि से) उनकी अनेकों प्रकार से पूजा की और स्तुति की और फिर (लीला की दृष्टि से) आशीर्वाद दिया।
दोनों हाथ जोड़कर तथा मुनि के चरणों की वंदना करके प्रभु विमान पर चढ़कर फिर (आगे) चले। यहाँ जब निषादराज ने सुना कि प्रभु आ गए, तब उसने ‘नाव कहाँ है? नाव कहाँ है?’ पुकारते हुए लोगों को बुलाया।
इतने में ही विमान गंगाजी को लाँघकर (इस पार) आ गया और प्रभु की आज्ञा पाकर वह किनारे पर उतरा। तब सीताजी बहुत प्रकार से गंगाजी की पूजा करके फिर उनके चरणों पर गिरीं।
गंगाजी ने मन में हर्षित होकर आशीर्वाद दिया- हे सुंदरी! तुम्हारा सुहाग अखंड हो। भगवान् के तट पर उतरने की बात सुनते ही निषादराज गुह प्रेम में विह्वल होकर दौड़ा। परम सुख से परिपूर्ण होकर वह प्रभु के समीप आया,
और श्री जानकीजी सहित प्रभु को देखकर वह (आनंद-समाधि में मग्न होकर) पृथ्वी पर गिर पड़ा, उसे शरीर की सुधि न रही। श्री रघुनाथजी ने उसका परम प्रेम देखकर उसे उठाकर हर्ष के साथ हृदय से लगा लिया।
सुजानों के राजा (शिरोमणि), लक्ष्मीकांत, कृपानिधान भगवान् ने उसको हृदय से लगा लिया और अत्यंत निकट बैठकर कुशल पूछी। वह विनती करने लगा- आपके जो चरणकमल ब्रह्माजी और शंकरजी से सेवित हैं, उनके दर्शन करके मैं अब सकुशल हूँ। हे सुखधाम! हे पूर्णकाम श्री रामजी! मैं आपको नमस्कार करता हूँ, नमस्कार करता हूँ।
सब प्रकार से नीच उस निषाद को भगवान् ने भरतजी की भाँति हृदय से लगा लिया। तुलसीदासजी कहते हैं- इस मंदबुद्धि ने (मैंने) मोहवश उस प्रभु को भुला दिया। रावण के शत्रु का यह पवित्र करने वाला चरित्र सदा ही श्री रामजी के चरणों में प्रीति उत्पन्न करने वाला है। यह कामादि विकारों को हरने वाला और (भगवान् के स्वरूप का) विशेष ज्ञान उत्पन्न करने वाला है। देवता, सिद्ध और मुनि आनंदित होकर इसे गाते हैं।
दोहा-
समर बिजय रघुबीर के चरित जे सुनहिं सुजान।
बिजय बिबेक बिभूति नित तिन्हहि देहिं भगवान।।
यह कलिकाल मलायतन मन करि देखु बिचार।
श्री रघुनाथ नाम तजि नाहिन आन अधार।।
भावार्थ-
जो सुजान लोग श्री रघुवीर की समर विजय संबंधी लीला को सुनते हैं, उनको भगवान् नित्य विजय, विवेक और विभूति (ऐश्वर्य) देते हैं॥अरे मन! विचार करके देख! यह कलिकाल पापों का घर है। इसमें श्री रघुनाथजी के नाम को छोड़कर (पापों से बचने के लिए) दूसरा कोई आधार नहीं है।
।। जय श्री राम जय बजरंगबली हनुमान ।।
Chopai- Lord Hanuman said explain. Dhari Batu Roop Awadhpur Jai।।
Bharathi Kusala, I have told you. I have come to bring you news.
Quickly Pawansut Gwanat Bhayu. Then Lord Bhardwaj appeared.
Nana Bidhi Muni did the puja. Astuti Kari Puni Ashish Dinhi.
Muni Pad Bandi Jugalkar Jori. Board the plane, Lord, let’s go Bahori.
Here Nishad heard Prabhu came. Where did people say Naav Naav?
Surasari Naghi Jaan came then. Go down to the shore and find the Lord’s eyes.
Then Sita worshiped Surasari. Many types of holy angels.
Dinhi Asis Harshi Man Ganga. Sundari tava ahivat abhanga.
Sunat guha dhayu premakul. Come near the ultimate happiness complex.
Bilokhi Baidehi including Prabhuhi. I don’t even remember my body.
Preeti Param Biloki Raghurai. Harshi picked up Leo and brought it.
Verse- Leo Hridayaan Lai Kripa Nidhaan Sujan Rai Ramapati. Sitting very close to her, she used to glean after sleeping in Kusal.
Now Kusal Pad Pankaj Biloki Biranchi Sankar Sebya J. Sukh Dham Purnakam Ram Namami Ram Namami Te.
Like everyone, Adham Nishad brought you as Hari Bharat. The depressed Tulsidas just forgot his love for God.
This Ravanari character is always pleasing to the holy Rama’s feet. Kamadihar Bigyankar Sur Siddha Muni Gavahin Muda।।
gist- After conquering Lanka, the Lord explained to Hanumanji and said – You take the form of a celibate and go to Avadhpuri. Tell Bharat about our well being and come back with his news.
Pawanputra Hanumanji left immediately. Then Prabhu went to Bhardwajji. The sage (with his wise wisdom) worshiped and praised him in many ways and then blessed him (from the point of view of Leela).
With folded hands and worshiping the sage’s feet, the Lord boarded the plane and then proceeded (forward). Here when Nishadraj heard that the Lord had come, he asked ‘Where is the boat? Where is the boat?’ Calling people.
Meanwhile, the plane crossed Ganga and came to this side and after receiving the permission of the Lord, it landed on the shore. Then Sitaji worshiped Gangaji in many ways and fell at her feet.
Gangaji blessed with joy in her heart – Oh beautiful! May your marriage remain unbroken. As soon as Nishadraj Guh heard about God’s landing on the shore, he ran away overcome with love. Filled with supreme happiness, he came near the Lord,
And after seeing the Lord along with Shri Janakiji, he fell down on the earth (engrossed in blissful trance), he was no longer aware of his body. Seeing his immense love, Shri Raghunathji picked him up and hugged him to his heart with joy.
Lakshmikant, the king of the nobles, blessed by God, hugged him to his heart and sat very close to him and inquired about his well-being. He started pleading – I am now safe after having darshan of your lotus feet which are served by Brahmaji and Shankarji. This abode of happiness! O perfect work Shri Ramji! I salute you, I salute you.
God took that Nishad, who was despicable in every way, to his heart like Bharatji. Tulsidasji says- This retarded person (I) has forgotten that Lord due to attachment. This purifying character of Ravana’s enemy is always going to generate love at the feet of Shri Ramji. It is the one that removes lustful vices and produces special knowledge (of the nature of God). Gods, Siddhas and sages sing it with joy.
Doha- Summer victory Raghubir’s character who hears the wise. Vijay bibek bhuti nit tinhi dehin bhagwan।।
This Kalikaal Malayatan, I feel like thinking about it. Shri Raghunath’s name is not on the basis.
gist- Those wise people who listen to Shri Raghuveer’s Leela related to victory in battle, God gives them daily victory, wisdom and prosperity. Oh mind! Think about it and see! This Kalikal is the home of sins. There is no other basis in this (to avoid sins) except the name of Shri Raghunathji.
, Jai Shri Ram Jai Bajrangbali Hanuman.