मन द्विविधा में है भटक रहा स्नमार्ग दिखा दो हे भगवन्,
सत्कर्म और अपनी भक्ति की राह दिखा दो हे भगवन्,
तुम जगत् नियंता और रचयिता हो सारी सृष्टि के।
मैं अज्ञानी हूं दुनियां में तुम कठिन परीक्षा लेते हो॥
इस भवबंधन के लोभ मोह कष्टों से कैसे मुक्ति मिले।
तेरी लीला तूं ही जाने हम शरण तिहारी हे भगवन्॥
प्रभु तुम तो अंतर्यामी हो हर बात जानते हो मन की।
व्याकुलता और व्यग्रता अब सुलझा दो हे भगवन् ॥
अर्द्धचंद्रधारी त्रिपाठी
The mind is wandering in a dilemma, show the path, O Lord,
Show me the path of good deeds and your devotion, O Lord,
You are the controller of the world and the creator of the whole creation.
I am ignorant in the world you take tough tests.
How to get rid of the sufferings of greed and attachment from this bondage?
You know your Leela, we are your refuge, O God.
Lord, you are the inner soul; you know everything about your mind.
Now solve the distraction and anxiety, O Lord.
crescent moon tripathi