दोहा: पूजा जप ताप मैं नहीं जानू, मै नहीं जानू आरती |
राम रतन धन पाकर के मै प्रभु का नाम पुकारती ||
कलिओं मे राम मेरा, किरणों मे राम है |
धरती गगन मे मेरे प्रभु का धाम है ||
कहाँ नहीं राम है …
प्रभु ही की धूप छाया, प्रभु की ही चांदनी |
लहरों की वीना मे है प्रभु जी की रागिनी ||
कहाँ नहीं लिखा मेरे रघुवर का नाम है ||
वहीं फूल फूल मे है, वहीं पात पात मे |
रहता है राम मेरा, सब ही के साथ मे ||
मेरा रोम रोम जिसको करता प्रणाम है ||
वो चाहे तो एक घडी मे चाल पवन की रुक जाए |
वो चाहे तो पल भर मे ही ऊँचा पर्वत घिस जाए ||
उस की दया दे पत्थर मे भी फूल रंगीला खिल जाए |
वो चाहे तो पथ भूले को राह सच की मिल जाए ||
उस की दया से बनता सब ही का काम है
Doha: I don’t know worship, chanting tapa, I don’t know aarti.
After getting the wealth of Ram Ratan, I used to call the name of the Lord.
Ram is mine in the buds, Ram is in the rays.
The earth is the abode of my lord in the sky.
Where is no Ram?
Lord’s sunshine shadow, Lord’s moonlight
Lord’s melody is in the veena of the waves.
Where is my Raghuvar’s name not written?
Where the flower is in the flower, there the leaf is in the leaf.
Ram stays with me, everyone
Whom my rom rom bows to ||
If he wants, then the speed of the wind stops in one hour.
If he wants, in a moment the high mountain can be worn away.
Give him mercy. Even in the stone, flowers will bloom.
If he wants to forget the path, he may find the way to the truth.
All work is done by his mercy