राम नाम की लो लग जाएगी ईश्वर दर्शन हो जाएंगे
लो का लगना क्या है
लो एक धुन लो एक प्यास है।हर व्यक्ति प्यास को शान्त करके तृप्त होना चाहता है बस अभी मै परमात्मा को देख लु। परमात्मा का बन जांऊ परमात्मा में समा जाऊं। परमात्मा कैसे है परमात्मा के पूरण में पूरण हो जाऊं। परमात्मा के ध्यान में लीन हो जाऊँ। सभी तृप्त होना चाहते हैं लो को जागृत करे बैगर मार्ग कैसे पकङे ।परमात्मा के नाम की लौ ऐसी गहरी हो सबकुछ भुल जाये। यह घर फिर भी वैसा ही रहेगा जैसा लो लगाये बैगर था हम समझते हैं यदि हम गहरा चिन्तन करते हैं तब हमारे जीवन का क्या होगा।हमारे गृहस्थ धर्म का क्या होगा। हमे शरीर से परमात्मा के नाम का चिन्तन नहीं करना है परमात्मा के नाम चिन्तन में हमारा गृहस्थ धर्म बाधक नहीं है हमारा मन बाधक है भगवान नाम ने मन को रखा ही नहीं वह परमात्मा का धाम बन गया पुष्प प्रेम के खिले हुए में जीवन महकता है
लो जब लग जाती है तब भक्त पुरण दर्शन चाहता है पुरण दर्शन क्या है परमात्मा के ध्यान में ढुबना ही पुरण दर्शन है। लौ के लगे बैगर दर्शन मार्ग अधुरा है। हममें धुन जागृत होती है तब एक क्षण के लिए भी ठहरना नहीं चाहते हैं। लो के लगने पर भक्त गहरी ढुबकी लगाता है । लो हमें शरीर तत्व से ऊपर उठाती है अ राही तु प्रभु प्रेम का अमृत पीना चाहता था तु भुल गया मै क्यों आया हूँ। अभी समय है प्रभु नाम की लो जगा ले, प्रेम रस से सराबोर हो जायेगा। प्रेम रस में ढुबकी लगा कर तेरे अन्दर प्रार्थना के बोल फुटेंगे अन्दर से निकली प्रार्थना तुझे मार्ग दिखाएगी। जब तक तेरा जीवन है तु प्रभु प्राण नाथ के प्रेम रस का रसपान करता रहेगा। रखना प्रभु नाम की लो में ही अध्यातम है
अध्यात्म यही है कि हमें महसूस होने लग जाये मै शरीर नहीं हूं मेरे द्वारा कोई किरया नहीं होती है जो भी कुछ हो रहा है मै नाम लेता हूं ध्यान लगाता हूँ वह सब ईश्वर करवा रहे हैं ईश्वर करता कर्म और किरया में है ग्रथं में हम पढते है वह हमारे मानस पटल पर ठहरता नहीं है यह सब हम रात दिन परमात्मा का चिन्तन मनन करते हुए परमात्मा को जानने की प्यास जागृत होगी है तभी सम्भव है।
जय श्री राम अनीता गर्ग
You will chant the name of Ram and you will see God.
What is Lo Lagna?
Take one tune, take one thirst. Every person wants to quench the thirst and be satisfied, just look at God now. Become God’s and merge into God. How is God? How can I become complete in the fullness of God? Let me become absorbed in the meditation of God. Everyone wants to be satisfied, awaken them without knowing how to find the path. The flame of God’s name should be so deep that everything is forgotten. This house will still remain the same as it was without the investment. We understand what will happen to our life if we think deeply. We do not have to think of God’s name with our body. Our household religion is not a hindrance in thinking of God’s name. Our mind is a hindrance. The name of God did not keep the mind, it became the abode of God. Life is fragrant in the blossom of love.
Lo, when it gets attached then the devotee wants Puran Darshan. What is Puran Darshan? To get immersed in the meditation of God is Puran Darshan. The darshan path is incomplete without the flame. When the passion awakens in us, we do not want to stop even for a moment. When the flame hits, the devotee takes a deep dive. Oh traveler, you lift us above the body element, you wanted to drink the nectar of God’s love, you forgot why I have come. Now is the time, take the name of God, wake up, you will be drenched in the juice of love. After immersing yourself in the juice of love, words of prayer will burst out within you. The prayer coming from within will show you the path. As long as you live, you will continue to enjoy the love of Lord Pran Nath. Keeping in the name of God is supreme
Spirituality is such that we start feeling that I am not a body, I have no influence on whatever is happening, I take the name, I meditate, God is making me do it all, God does the work and the inspiration is in the scriptures that we read. All this is possible by thinking about God day and night and the thirst to know God will awaken.
Jai Shri Ram Anita Garg