साई की पालकी चली

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साई की पालकी चली चावड़ी की और चली शिरडी की गली गली,
धीरे धीरे होले साई माँ की डोल चली,
साई की पालकी चली…….

चली रे गुरुवार को साई बाबा की वरतीया,
देखो क्या खूब सजी है साई की भोली सुरतिया,
उड़े रंगो की फुहारे गज़ब है अज़ाब नजारे,
साई की शान में देखो झूमे चंदा सितारे,
नाचो गाओ भिभूति लगाओ सजी है रंगोली,
साई की पालकी चली……..

तू है आल्हा का नूर तू है राम का रूप,
ब्रह्मा विष्णु शंकर सब है तेरे सवरूप सभी को दिया सहरा,
जो भी आया तेरे दवारा शरधा सबुरी से तूने इस कलयुग को तारा,
साई के रंग में रंग जा भक्तो ईद जा होली,
साई की पालकी चली……..

कोई आरती उतरे कोई चरणों को छुहे कोई हस गये कोई रोये,
कोई पालकी उठाये कोई बाजा भजाये कोई नाचे साई साई बोलये,
खुशियों के खुस्भू से महके भक्तो की टोली,
साई की पालकी चली………..

Sai’s palanquin went to Chavadi and went to Shirdi’s street,
Slowly, Hole Sai Maa’s drool went on,
Sai’s palanquin left……

Chali re thursday sai baba ki vartiya,
Look how beautiful Sai’s innocent surtiya is,
The spray of flying colors is amazing, the sight is amazing,
Look at Sai’s glory, Chanda stars swinging,
Dance, sing Bhibhuti, Rangoli is decorated,
Sai’s palanquin moved…….

You are the light of Allah, you are the form of Ram,
Brahma Vishnu Shankar is everything, the support given to everyone in your form,
Whoever came through you from Shara Saburi, you made this Kali Yuga a star,
May the devotees be colored in the colors of Sai, Eid Ja Holi,
Sai’s palanquin moved…….

Some aarti descended, some touched the feet, some laughed, some cried,
Somebody pick up a palanquin, some baja, some dance, say Sai Sai,
A group of devotees smelling of happiness,
Sai’s palanquin left………..

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