सँवारे की सेवा में जो भी रमजाते है ,
बाबा ही संभाले उन्हें वो फिर दुःख ना पाते है.,
जीवन में होते इतने झमेले एक दिन तो इंसान जाता अकेले,
बिता समय तो पछताते है,
साँवरे की सेवा में…
अपना सगा हमने जिसको माना मुश्किल पड़ी तो निकला बेगाना,
संकट में बाबा ये काम आते है,
साँवरे की सेवा में…..
वक़्त सभी का बनता बिगड़ता समजे नाझाकत वो है संबलता,
गीता में भगवन समझाते है,
साँवरे की सेवा में
मन और वचन कर्म हो एक तेरा चोखानी तो फिर कटता फेरा,
सात कर्म ही गिनी रह जाते है,
साँवरे की सेवा में…..
Whoever indulges in the service of grooming,
Only Baba takes care of him, he does not feel sad again.
If there were so many problems in life, one day a person would go alone.
Regrets the time spent
In the service of the evening…
Whoever we believed was difficult, then it turned out to be Begana,
Baba this work comes in trouble,
In the service of the evening…..
Time is deteriorating for everyone;
God explains in the Gita,
in the service of the evening
If your mind and word are deed, then your sharpness is cut again,
Only seven deeds remain counted.
In the service of the evening…..