अज भी चले लंगर बाबे नानक जी दा लाया
नाम जपो ते किरत करो सी सब नु वन्द छकाया
भव सागर ओ तर जांदा ऐ राह जो चुनदा सच दा
सतगुरु नानक जी कण कण दे विच वसदा
काह्लू जी दा राज दुलारा माँ त्रिपता दा जाया
पांदे नु भी पड़ने पाता ऐसा वचन सुनाया
सजन जे ठग राहे पाए कुल ज़माना दसदा
सतगुरु नानक जी कण कण दे विच वसदा
टांडे दे नाल गुण कारी है जो माकी दी श्ल्ली
मिटटी दे विच जान है पाई करके नजर सवली
नाम ओहदे तो बिना हठुर विच जीता नहियो किसे कम दा
सतगुरु नानक जी कण कण दे विच वसदा
चार उदाइसिया दे हर कोने विच है वसदी रंग्तन
मन नीवा मत उची वाली सोच रखे गुरु संगत
नानक नाम जहाज दी माला गिल हमेशा जपदा
सतगुरु नानक जी कण कण दे विच वसदा
The anchor of Baba Nanak Ji is still running
Japo Naam Te Kirat Karo Si Sab Nu Vand Chhakaya
The ocean of death is crossed by the one who chooses the path of truth
Satguru Nanak Ji resides in every particle
Kahlu ji’s secret beloved son of Maa Tripata
He promised that even those who find it would find it readable
Sajan je thag rahe paye kul zamana dasda
Satguru Nanak Ji resides in every particle
The quality with the tande is black which is the shlly of maki
There is life in the soil
Name is nothing less than won in stubbornness without him
Satguru Nanak Ji resides in every particle
Rangtan resides in every corner of the four heights
Keep your mind low not high thinking Guru Sangat
Nanak Naam Jahaj Di Mala Gill always chanted
Satguru Nanak Ji resides in every particle