रोती आंखे रोने ने श्याम चरण को धोने दे,
गम आंसू में ढल जाये शायद शाम पिगल जाये,
हे नायक हम बचे है दुःख सहने में कच्चे है,
समजे जो दिल की बाते रोना बस उसके आगे,
पत्थर दिल भी हिल जाये,
शायद शाम पिगल जाये…..
गम जो हद से बढ़ जाये आंसू बनकर बह जाये,
जब कोई प्रेमी रोता है,दर्द श्याम को होता है,
पता श्याम को चल जाये,
शायद शाम पिगल जाये,
श्याम के संमुख रोये जा पाप तेरे ये धोये गा,
रो रो जब थक जायेगा पल में काम बन जायेगा,
संकट सारे टल जाये,
शायद शाम पिगल जाये
दौलत से न रिजेगा आंसू से ही पसीजेगा,
हर्ष तू दर पे शीश झुका आंसू की सौगात चढ़ा,
भक्ति तेरी ढल जाये,
शायद शाम पिगल जाये
Let the crying eyes wash Shyam Charan,
Gum melts into tears, maybe the evening melts,
O hero we are left, we are raw in suffering,
Understand that the words of the heart cry just in front of him,
Even the stone heart should move,
Maybe the evening melts…..
The sorrow that increases beyond the limit, flows like tears,
When a lover cries, it hurts Shyam,
Let Shyam know,
Maybe the evening melts,
Weep in front of Shyam, you will wash your sins,
Cry when you get tired, work will be done in a moment,
May the crisis be over
maybe the evening melts
Wealth will not get rid of tears, it will sweat only.
Harsh you bowed your head at the rate and presented the gift of tears,
May your devotion fall
maybe the evening melts