शिर्डी से जब हॉवे विदाई

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शिर्डी से जब हॉवे विदाई दिल करे बस इक ये ही दुहाई,
कदमो को मेरे बड़ने से तुम रोक लो साईं रोक लो साईं

कैसे सहु ये हिजर की वेला,
सुना लगता जग का मेला,
साँसे भी ये सेह न पाए.
कैसा है ये दर्द का खेला,
नैनो से बरसात है आई,
मन की पीड़ा है दुखदाई
कदमो को मेरे बड़ने से तुम रोक लो साईं रोक लो साईं

शिर्डी बस तीर्थ ही है मेरी तो याहा जान वसी है,
कैसे जाऊ छोड़ के आँचल माँ की ठंडी छाव यही है,
दिल से ये आवाज है आई ,
बैठू कुछ पल द्वारका माई,
कदमो को मेरे बड़ने से तुम रोक लो साईं रोक लो साईं

पूछे मुझसे सारा जमाना है क्यों तू साईं का दीवाना,
कैसे बताऊ इस दुनिया को सांसो में है साईं का तराना,
मिटटी की खुशबु है आई,जिस में रमी मेरी परछाई,
कदमो को मेरे बड़ने से तुम रोक लो साईं रोक लो साईं

When you bid farewell to Shirdi, only this cry,
You stop my steps from growing up Sai Stop Sai

How to bear this hijar vela,
Hear it seems that the fair of the world,
He could not even breathe.
How is this pain game?
It’s raining from Nano,
The pain of the heart is the pain
You stop my steps from growing up Sai Stop Sai

Shirdi is just a pilgrimage, my soul is my soul,
How can I leave Aanchal Maa’s cold shadow?
This voice came from the heart,
Sit for a few moments, Dwarka Mai,
You stop my steps from growing up Sai Stop Sai

Ask me all the time, why are you crazy about Sai?
How can I tell this world that Sai’s talent is in my breath,
The fragrance of the soil has come, in which my shadow is Rami,
You stop my steps from growing up Sai Stop Sai

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