श्री श्याम किरपा रस का कतरा भी चुका पाऊ,
मुझमें वो बात नही मेरी औकात नही,
गर सारी धरती को कागज़ में बना डालू,
गर सात समंदर को स्याही मैं बना डालू,
फिर भी वर्णन कर दू दरबार की महिमा का
मुझमें वो बात नही मेरी औकात नही,
किस्मत के मारो को मिलता सत्कार नही,
बस श्याम के दर पे ही ऐसा व्यवार नही,
उनके उपकारों को मर के भी चुका पाऊ
मुझमें वो बात नही मेरी औकात नही,
I can pay even a drop of Shri Shyam Kirpa Ras.
I do not have that thing, I do not have the right,
If I make the whole earth in paper,
If I make the seven seas with ink,
Still let me describe the glory of the court
I do not have that thing, I do not have the right,
Hits of luck do not get hospitality,
It is not such a business only at the rate of Shyam.
be able to pay their dues even by death
I do not have that thing, I do not have the right,