श्याम भरोसे नाव् मेरी ये पार लगती है,
ये माझी इस के हाथो पतवार रेहती है,
मुझे क्या फिकर होगी जो श्याम साथ है,
संवारा तो जाने मेरे मन की बात है,
घर आँगन में श्याम दया की गंगा बेहती है
ये माजी इस के हाथो पतवार रेहती है,
श्याम भरोसे नाव् मेरी
श्याम श्याम जपते जीवन सवर ने लगा,
मस्तियो के आलम में ही गुजरने लगा
प्यार जो बाबा से मिलता खुमारी चड ती है
ये माजी इस के हाथो पतवार रेहती है,
श्याम भरोसे नाव् मेरी
सुनो दुनिया वालो श्याम सचा है सखा,
हारे का सहाई जग में ऐसा न दिखा,
चोखानी जो शुकर मनाओ अगियाँ बेहती है,
ये माजी इस के हाथो पतवार रेहती है,
श्याम भरोसे नाव् मेरी
Shyam trust boat seems to be my cross,
This majhi rests in his hands,
What will I worry about who is with Shyam,
To know how to decorate is on my mind,
Shyam Daya’s Ganga flows in the courtyard of the house
This mother rests in her hands,
Shyam Bharosa Nav Meri
Shyam Shyam Chanting Jeevan Savar felt,
started passing in the mood of mastio
the love that meets baba
This mother rests in her hands,
Shyam Bharosa Nav Meri
Listen world’s Shyam is true friend,
The help of the loser was not seen like this in the world,
Chokhani who celebrates the sugar, the fire is good,
This mother rests in her hands,
Shyam Bharosa Nav Meri