((तर्ज -साईं मेरे मन में है))
श्याम मेरे मन में है श्याम मेरे तन में है,
जिधर भी देखु श्याम कण कण दिखाई दे
भक्तो का तू ही पालनहारा तू ही रखवाला
श्याम मेरे मन में है श्याम मेरे तन में है,
जो तेरा सच्चे मन से ध्यान लगाये, उस तू बेड़ा पार करे
जो शीश तेरे चरणों में झुकाये, उस को फिर दुनिया में न झुकने दे ,
करे रखवाली उस भगत के घर की
श्याम मेरे मन में है श्याम मेरे तन में है,
आँखों से तेरे प्रेम ही बरसे दर्शन को अब ये नैन तरसे,
आये हम सब द्वार तुम्हारे, हो हारे के सहारे
हर लो दुःख दर्द हमारे, कहे अविनाश करो बाबा उधार हमारा ,
श्याम मेरे मन में है श्याम मेरे तन में है,,
((Tarj-Sai is in my mind))
Shyam is in my mind Shyam is in my body,
Wherever I look, black particles can be seen
You are the caretaker of the devotees.
Shyam is in my mind Shyam is in my body,
Whoever meditates on you with true heart, you may cross the raft
The head that bows at your feet, don’t let it bow down again in the world.
Take care of that Bhagat’s house
Shyam is in my mind Shyam is in my body,
Your love showered with eyes,
We all came to the door with the help of your loser
Take everyone’s sorrow and pain from us, say Avinash, Baba borrowed ours,
Shyam is in my mind Shyam is in my body,