श्याम तेरी चौखट पे सुनाई ना होती

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श्याम तेरी चौखट पे सुनाई ना होती
कहाँ श्याम जाते कहाँ श्याम जाते

रास्ते की पत्थर को तुमने तराशा
वर्ण बनाती ये दुनिया तमाशा
अगर तुमने मंज़िल दिखाई ना होती
कहाँ श्याम जाते कहाँ श्याम जाते

वक़्त ने कैसे कैसे दिन थे दिखाए
कैसे बयान करूँ कुछ समझ में ना आये
हाथों की लकीरें तुमने सजाई ना होती
कहाँ श्याम जाते कहाँ श्याम जाते

आज बाबा जो भी शोहरत है मेरी
तेरी कृपा से वो इज़्ज़त है मेरी
पहचान तूने बनाई होती
कहाँ श्याम जाते कहाँ श्याम जाते

जब तक है सांसें मैं तेरा रहूँगा
सुख हो या दुःख हो तेरे संग सहूंगा
सुरीले की किस्मत बनाई ना होती
कहाँ श्याम जाते कहाँ श्याम जाते

जग के अंधेरों से बहार निकला
कदम लड़खड़ाए तू तुम्ही ने संभाला
निशा में ये रौशनी दिखाई ना होती
कहाँ श्याम जाते कहाँ श्याम जाते

Shyam would not have heard on your doorstep
Where Shyam goes Where Shyam goes

you carved the stone of the way
Characters make this world a spectacle
If you had not seen the destination
Where Shyam goes Where Shyam goes

Time has shown how the days were
I don’t understand anything how to say
You would not have decorated the lines of your hands
Where Shyam goes Where Shyam goes

Whatever fame is my father today
By your grace that honor is mine
you would have identified
Where Shyam goes Where Shyam goes

I will be yours as long as there is breath
Be it happiness or sorrow, I will bear with you
Harmony’s luck would not have been made
Where Shyam goes Where Shyam goes

out of the darkness of the world
You staggered your feet
Nisha would not have seen this light
Where Shyam goes Where Shyam goes

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