सिर पे दोनों हाथ फेर दे तेरा की घट जावे गा
तेरा कुछ न बिगड़े गा तेरा टाबरियां तर जावेगा,
सिर पे दोनों हाथ फेर दे तेरा की घट जावे गा
कब से द्वार खड़ा है थारे माहरी और निहारो जी,
कोई नहीं है संगी साथी थारो इक सहारो जी,
श्री चरना की सेवा दे दो भव सागर तर जावेगा,
सिर पे दोनों हाथ फेर दे तेरा की घट जावे गा
सुभम रूपम के इतनी अर्जी भूल से मत न जाजियो जी,
जब भी कोई आफत आवे दौड़ाया दौड़ाया आजो जी,
इक नजर माहरे पे कर दो जन्म जन्म गुण गावा गा,
सिर पे दोनों हाथ फेर दे तेरा की घट जावे गा
Turn both your hands on your head and let your woes decrease.
Nothing will spoil you;
Turn both your hands on your head and let your woes decrease.
Since when is the door standing, Thare Mahiri and Niharo ji,
There is no fellow fellow, Tharo Ik Saharo ji,
Give the service of Shri Charna, Bhav Sagar will go to the water,
Turn both your hands on your head and let your woes decrease.
Don’t miss out on Subham Rupam’s request so much.
Whenever any calamity came, I ran today,
Have a look at Mahre and sing the virtues of birth for two births,
Turn both your hands on your head and let your woes decrease.