तेरी बातें ही सुनाने आये
दोस्त भी दिल ही दुखाने आये
फूल खिलते हैं तो हम सोचते हैं
तेरे आने के ज़माने आये
क्या कहीं फिर कोई बस्ती उजड़ी
लोग क्यूँ जश्न मनाने आये
सो रहो मौत के पहलू में ‘फ़राज़’
नींद किस वक़्त न जाने आये
तमाम उम्र तेरा इंतज़ार हमने किया
इस इंतज़ार में किस किससे प्यार हमने किया
कोई मिलता है तो अब अपना पता पूछता हूँ
मैं तेरी खोज में तुझसे भी परे जा निकला
तोड़ कर देख लिया आईना-ए-दिल तूने
तेरी सूरत के सिवा और बता क्या निकला
तलाश-ए-दोस्त को इक उम्र चाहिये ऐ दोस्त
के एक उम्र तेरा इंतज़ार हमने किया
दबा के कब्र में सब चल दिये दुआ न सलाम
ज़रा सी देर में क्या हो गया ज़माने को
‘क़मर’ ज़रा भी नहीं तुमको ख़ौफ़-ए-रुस्वाई
‘क़मर’ ज़रा भी नहीं तुझको ख़ौफ़-ए-रुस्वाई
के चाँदनी में चले हो उन्हें मनाने को
तेरे ख़याल में दिल शादमा रहा बरसों
तेरे हुज़ूर इसे सोगवार हमने किया
ये तिश्नगी है के उनसे क़रीब रह कर भी
‘हफ़ीज़’ याद उन्हें बार बार हमने किया
came to hear your words
Friends also came to hurt my heart
When flowers bloom we think
your time came
Has any settlement been destroyed again?
why did people come to celebrate
Stay asleep ‘Faraaz’ in the aspect of death
what time did you not sleep
We waited for you all the time
Whom did we love in this waiting
If I find any, now I ask for my address
I went beyond you in search of you
You have seen the mirror-e-dil by breaking
Other than your face, tell me what turned out to be
Talaash-e-friend needs one age, oh friend
We waited for you for an age
Everyone went to the grave by pressing, dua na salaam
What happened in a while
‘Qamar’ does not make you afraid at all
‘Qamar’ is not at all afraid of you
Let’s go in the moonlight to persuade them
For many years my heart was in mourning for you.
We did it on your own behalf
It’s Tishnagi that even by being close to them
‘Hafeez’ we remember him again and again