रोम रोम में राम है ,राम नाम आधार,
राम रटन जब मे लगा ओर रटन बेकार,
तेरे चरणों मे आ के गुरुवर,
जिंदगी किया से किया हो गयी है,
जब से थामा है दामन तुम्हारा,
सारी मुश्किल आसा हो गई है,
तेरी भगति का दीपक जलाया,
मैन मंदिर में तुमको बसाया,
बन रहे है सभी काम मेरे ,
जब से तेरी कृपा हो चली है,
जब से थामा ,,,,
कोई चिंता नही जिंदिगी में,
जब से तरी शरण मे गये है।
होते होते रहे तेरे दर्शन ,
बस यही कामना हो चली है,
जब से थामा,,,,,,
अशोक जांगिड़
सवाई माधोपुर राजस्थान
Rome is Ram in Rome, Ram is the name of the base,
Ram rattan when I felt and rattan was useless,
Lord by coming at your feet,
Life is done by doing,
Ever since your arm is held,
All the trouble has become easier,
lit the lamp of your devotion,
Man settled you in the temple,
All my work is being done,
Ever since your grace is gone,
Ever since I held
No worries in life,
Ever since Tari has gone to the shelter.
Your darshan kept happening,
That’s all I wished,
Ever since,
Ashok Jangid
Sawai Madhopur Rajasthan