तेरी मुरली की मैं हूँ गुलाम मेरे अलबेले श्याम

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तेरी मुरली की मैं हूँ गुलाम, मेरे अलबेले श्याम ।
अलबेले श्याम मेरे मतवाले श्याम ॥

घर बार छोड़ा सब तेरी लगन में,
बाँवरी भई डोलूं ब्रिज की गलिन में ।
मेरे स्वांसो की माला तेरे नाम, मेरे अलबेले श्याम ॥

सांवरे सलोने यही विनती हमारी,
करदो कृपा मैं हूँ दासी तुम्हारी ।
तेरी सेवा करूँ आठों याम, मेरे अलबेले श्याम ॥

जब से लड़ी निगोड़ी तेरे संग अखियाँ,
चैन नहीं, दिन मैं काटूं रो रो के रतियाँ ।
तूने कैसा दिया यह इनाम, मेरे अलबेले श्याम ॥

आऊँगी मिलन को तुमसे कर के बहाने,
सांस रूठे, जेठानी मारे सो सो ताने ।
हूँ घर घर में मैं तो बदनाम, मेरे अलबेले श्याम ॥स्वरनिकुंज कमरा

I am the slave of your murli, my Albele Shyam.
Albele Shyam my voter Shyam

You left the house again and again in your passion,
In the gully of Bawri Bhai Dolun Bridge.
The garland of my souls is your name, my Albele Shyam.

This is our request in the evening.
Please, I am your maidservant.
I should serve you eight yams, my only shyam.

Ever since the nigodi fought with you,
There is no rest, I will spend the day crying tears of tears.
How did you give this reward, my Albele Shyam

I will come to meet you on the pretext of doing it,
Breathing, Jethani kills so taunts.
I am infamous in my house, my Albele Shyam Swarnikunj room

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