तू तो कोई अजब है,
तेरा अजब तमाशा जग में है।
तुही राम, तें रावण मारा, तू ही नन्दकिशोर । तुही इन्द्र इन्द्रासन तेरा, तू वर्षे घन घोर ॥१॥
तू तो कोई अजब है,
तेरा अजब तमाशा जग में है।
तुही ब्रह्मा तुही विष्णु,
महादेव तू कमला पति गौर
रूपों में सब रूप धरत है,
तू ही करत किलोल ॥’
तू तो कोई अजब है,
तेरा अजब तमाशा जग में है।
पांच तत्व और तीन गुणों में,
दशों दिशा चहुं ओर।
पिण्ड ब्रह्माण्ड में तुही विराजे. तू पुर्ण सब ठौर,
तू तो कोई अजब है, तेरा अजब तमाशा जग में है।
तू मुक्ता तू गुप्त प्रकट,
घट घट ब्रह्म चकोर । दूजा नहीं कोई और ॥ क्या सोचे
तू तो कोई अजब है, तेरा अजब तमाशा जग में
You are a wonder, your strange spectacle is in the world.
You are Ram, you are Ravana Mara, you are Nand Kishore. You are your Indra Indrasana, you are dense with years.
You are a wonder, your strange spectacle is in the world.
You are Brahma, you are Vishnu Mahadev, you are Kamala Pati Gaur.
All the forms in the forms are earth, you are the one who kills them.
You are a wonder, your strange spectacle is in the world.
In the five elements and three qualities, there are ten directions all around. You reside in the universe. You are the complete destination.
You are a wonder, your strange spectacle is in the world.
You are free, you reveal the secret, you gradually reveal the Brahma. ‘No one else.’ what to think
You are a wonder, your strange spectacle in the world.