अमर आत्मा सच्चिदानद मैं हूँ,
शिवोहं शिवोहं शिवोहं शिवोहं।
अखिल विश्व का जो परमात्मा है,
सभी प्राणियो का वो ही आत्मा है,
वही आत्मा सचिदानंद मैं हूँ।
शिवोहं शिवोहं शिवोहं शिवोहं॥
जिसे शस्त्र ना काटे ना अग्नि जलावे,
गलावे ना पानी, ना मृत्यु मिटावे,
वही आत्मा सचिदानंद मैं हूँ।
शिवोहं शिवोहं शिवोहं शिवोहं॥
ने गाया,
यही ज्ञान अर्जुन को हरी ने सुनाया,
वही आत्मा सचिदानंद मैं हूँ।
शिवोहं शिवोहं शिवोहं शिवोहं॥
अमर आत्मा है, मरण शील काया,
सभी प्राणियो के भीतर जो समाया,
वही आत्मा सचिदानंद मैं हूँ।
शिवोहं शिवोहं शिवोहं शिवोहं॥
है तारो सितारों में प्रकाश जिसका,
जो चाँद और सूरज में आभास जिसका,
वही आत्मा सचिदानंद मैं हूँ।
शिवोहं शिवोहं शिवोहं शिवोहं॥
जो व्यापक है जन जन में है वास जिसका,
नहीं तीन कालो में हो नाश जिसका,
वही आत्मा सचिदानंद मैं हूँ,
शिवोहं शिवोहं शिवोहं शिवोहं॥
I am the immortal soul Sachchidanand, I am Shiva, I am Shiva, I am Shiva, I am Shiva. Akhil Vishwa Ka Jo Paramatma Hai, He is the soul of all beings, That same soul is Sachidanand I am. I am Siva, I am Siva, I am Siva, I am Siva. Jise shastra na kate na agni jalave, Water does not melt, nor does death erase, That same soul is Sachidanand I am. I am Siva, I am Siva, I am Siva, I am Siva. sang, This is the knowledge that Hari told Arjuna, That same soul is Sachidanand I am. I am Siva, I am Siva, I am Siva, I am Siva. The immortal soul is the mortal body, who contains within all beings, That same soul is Sachidanand I am. I am Siva, I am Siva, I am Siva, I am Siva. is the star in the stars whose light, whose appearance in the moon and sun, That same soul is Sachidanand I am. I am Siva, I am Siva, I am Siva, I am Siva. Jo vyapaak hai jan jan mein hai vas jiska, Not whose destruction is in three blacks, Vahi Atma Sachidanand Main Hoon, I am Siva, I am Siva, I am Siva, I am Siva.