हे परमेश्वर हे मुक्तेश्वर

batu caves 4664211 640

हे परमेश्वर हे मुक्तेश्वर , वरद हस्त से भक्ति दो ,
तेरा अवलोकन सदा करुं , परमेश्वर ऐसी युक्ति दो !
तेरे मेरे का द्वेत रहे , दृश्य दृष्टा का भेद रहे ,
जो विलग करे शुभ दर्शन से , ना ऐसी भव मुक्ति दो !!
हे परमेश्वर हे मुक्तेश्वर , वरद हस्त से भक्ति दो . . !

मैं साक्षी बन तुझको देखु , तेरा कीर्तन स्व:धर्म बने ,
नयनाभिराम छवी देखन का ,प्रलोभन सुन्दर कर्म बने !
मैं तुझे देख सब कुछ भुलूं , ऐसा आनंन्दित छन्द बने ,
मैं भ्रमर बनु तुझपे झूमू , तू पुष्प पराग मकरन्द बने !!
हे परमेश्वर हे मुक्तेश्वर , वरद हस्त से भक्ति दो . . !

मैं तेरे रूप का स्वाद चखुं , देखु अविराम निगाहों से ,
मैं तुझको छुकर देख सकुं , मन भक्ति के भावों से !
जो मुक्त हुआ भव सागर से , शेष शून्य होना होगा ,
तेरी मनमोहक झांकी से , मुझको वंचित रहना होगा !!
हे परमेश्वर हे मुक्तेश्वर , वरद हस्त से भक्ति दो . . !

नही तेरा मेरा भेद जहां , ना होगा पृथक भाव वहाँ ,
मैं तुझमें मिलकर घुल जाऊं , फिर मेरा रहे वजूद कहाँ !
मैं मेरा रख अस्तित्व अलग , बनना चाहूं तेरा दर्शक ,
हर जन्म दिखे तेरी सुरत , मुझे मोक्ष की चाह कहाँ !!
हे परमेश्वर हे मुक्तेश्वर , वरद हस्त से भक्ति दो . . !

मैं बन जाऊं तेरा चाकर ,  तेरी चोखट का पत्थर ,
नित नई लीला देखु , तेरी कृपा निकटता पाकर !
सनकादिक सप्त-ऋृषियों ने भी,कब चुना मोक्ष का द्वार,
अमर देह से देखे श्री को , भज के लेते सुख अपार !!
हे परमेश्वर हे मुक्तेश्वर , वरद दस्त से भक्ति दो . . !



Oh God, O Mukteshwar, give bhakti with the hand of the hand, Always observe you, God give such a trick! May your duality be there, be the difference of the visible person, Whoever detaches from auspicious darshan, don’t give liberation in such a Bhav !! Oh God, O Mukteshwar, give bhakti with the help of the hand. , ,

I will see you as a witness, let your kirtan become self-religion, To see a panoramic image, let temptation become a beautiful act! Seeing you, I forget everything, become such a joyful verse, I will be confused, you will swing, you become the flower pollen nectar !! Oh God, O Mukteshwar, give bhakti with the help of the hand. , ,

I taste your form, I will see it with unbroken eyes, I can touch and see you, with feelings of devotion. One who is liberated from the ocean, the rest will have to be zero, I have to be deprived of your beautiful tableau!! Oh God, O Mukteshwar, give bhakti with the help of the hand. , ,

No where is your difference between me, there will be no separate feeling there, If I dissolve in you, then where is my existence? I keep my existence separate, I want to be your spectator, Every birth is seen your face, where do I want salvation !! Oh God, O Mukteshwar, give bhakti with the help of the hand. , ,

I will become your chakkar, your choking stone, Always see a new Leela, getting your grace close! Sanakadik seven-sages also chose the door of salvation, See Shri from the immortal body, the pleasure of taking worship is immense!! Oh God, O Mukteshwar, give bhakti through varada dasta. , ,

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