हे री मैं तो प्रेम दिवानी,
मेरो दरद न जाने कोय ।।
सूली ऊपर सेज हमारी,
किस विध सोना होय ।
गगन मंडल पर सेज पिया की,
किस विध मिलना होय ।।
घायल की गति घायल जाने की,
जिन लागी होय ।
जौहरी की गति जौहरी जाने की,
जिन जोहर होय ।।
दरद की मारी वन वन डोलू वैद,
मिल्यो नहीं कोय ।
मीरा के प्रभु पीर मिटे जद वैद्य,
सांवलिया होय ।।
हे सखी, मैं तो प्रेम दीवानी हूँ,
मेरा दर्द कौन जाने ?
मेरी सेज तो सूली के ऊपर है,
मैं किस प्रकार चैन से सोऊँ ?
मेरे प्रियतम श्यामसुंदर तो गगन..
मंडल पर विराजते हैं,
किस तरह उनसे मैं मिलूँ ?
केवल घायल ही..
घायल की गति जानता है,
अन्य कोई नहीं जानता ।
जौहरी की गति भी..
जौहरी ही जानता है ।
मैं दर्द की मारी वन वन डोल रही हूँ,
परंतु कोई वैद्य न मिला ।
मीरा की पीड़ा तो तभी मिटेगी,
जब वैद्य साक्षात साँवरिया..
[श्याम सुंदर] मिलेगा ।
श्री कृष्ण
Hey, I’m a lover of love, I don’t know why I feel pain. crucifix ours, In what way are you gold? He drank a sage on Gagan Mandal, In what way would you like to meet? the speed of the wounded to be injured, Who are you? The jeweler’s speed is the jeweler’s going, Who are you? Dard Ki Mari Van Van Dolu Vaid, Miyo no koi. Meera’s lord Pir Mitte JD Vaidya, Sanwaliya yes.
O friend, I am a lover of love, Who knows my pain?
My bed is on the cross, How do I sleep peacefully?
My dear Shyamsundar is Gagan.. sits on the circle, How do I meet him?
Only injured.. Knows the speed of the wounded, No one else knows.
Jeweler’s speed too.. Only the jeweler knows.
I am fluttering one by one due to pain, But no doctor was found.
Only then will Meera’s pain end. When Vaidya was real Saawariya.. [Shyam Sundar] Will get it.
Sri Krishna