हे रसना तू हरि हरि बोल।
सब रस नीरस राम नाम एक अनमोल
हे रसना तू हरि हरि बोल।
एक ये ही सार जीवन को।
जीव पार लगे भज भज याको।
ये जीव ब्रह्मा का भेद दे खोल।
हे रसना तू हरि हरि बोल। संत कहे ये जीवन बिन सार। बिन दया धर्म ना लागे पार्। बिन इन जीवन को कौन मोल। हे रसना तू हरि हरि बोल।
सब रस नीरस राम नाम एक अनमोल भौरे गुंजन कर हरि गुण गावे। कलियां चुटकिद ताल बजावे। मोर नाचे मगन हो चहुँ ओर। रे मनवा कर ध्यान कृष्ण को। याद में उसकी नाच मगन हो।
देख रंग माया के मत हो डाँवाडोल।
हे रसना तू हरि हरि बोल।
सब रस नीरस राम नाम एक अनमोल संतन के सदा रघुराई। साँची प्रीत प्रभु मन। भाई।
रे मनवा सांचे मन से सरल भाव से।
कर प्रीत हरि से।
सुन संतन के बोल।
हे रसना तू हरि हरि बोल।
सब रस नीरस राम नाम एक अनमोल
भक्त कहे जग की प्रीत पुरानी।
सर चढ़ बोले मिथ्या अभिमानी।
बैरी सखा में भेद ना करन।
सम भाव सदा मन रखना ।
प्रेम रंगे वचन नित बोल।
हे रसना तू हरि हरि बोल।
सब रस नीरस राम नाम एक अनमोल
!!…..जय श्री राधा रमण हरि बोल….!!