सांवरिया तेरी जोगन मै बन जाऊं।
जोगन बनकर वन वन डोलू,
तेरे ही गुण गांऊ।
नीज उर की कंपित वीणा पर,
प्रेम का राग सुनाऊं।
सांवरिया तेरी जोगन मै बन जाऊं।
निषठुर जग की इस हलचल से,
दूर कहीं चली जाऊं।
निरजन वन में कुटी बनाकर,
तेरा ध्यान लगाऊं।
सांवरिया तेरी जोगन मै बन जाऊं।
पुतली का प्याला कर परीतम,
दरीग झोली लटकाऊं,
सांवरिया तेरी जोगन मै बन जाऊं
दरशन भिक्षा चाह हृदय में,
दर दर अलख जगाऊं।
न मै और किसी को देखूं,
न तुझको दिखलाऊं।
मन मन्दिर में बन्दी करके,
नैन कपाट लगाऊं
सांवरिया तेरी जोगन मै बन जाऊं ।
जय श्री राम अनीता गर्ग