वृंदावन का कृष्ण कन्हैया सबकी आंखों का तारा ।
मन ही मन क्यों जले राधिका मोहन तो है प्यारा ॥
यमुना तट पर नंद का लाला जब जब रास रचाय रे ।
तन मन डोले कान्हा ऐसी वंशी मधुर बजाए रे ।
सुध बुध भूली खड़ी गोपियां जाने कैसा जादू डारा ॥
रंग सलोना ऐसा जैसे छाई हो घट सावन की ।
ऐरी सखी मैं हुई दिवानी मनमोहन मनभावन की ।
तेरे कारण देख सावरे छोड़ दिया मैंने जग सारा ॥
Krishna Kanhaiya of Vrindavan is the apple of everyone’s eyes.
Why does Radhika Mohan burn in my heart?
When Nanda’s Lala Ras Rachay Re on the banks of Yamuna.
Tan mind dole Kanha such Vanshi melodur baadre re.
Sudh Budh forgot the standing gopis to know what kind of magic Dara
The color of Salona is like that of Sawan.
Aeri sakhi me hui divani manmohan manbhavan ki.
Seeing because of you, I left the whole world.