यशोदा कूबड़ कनाई करग्यो ये

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यशोदा कुबद कनाई करग्यो ये
फाड़ गयो म्हारी चुंदरी उघाड़ी करगयो ये

मे तो मथुरा जा रही थी लेकर माखन मटकी
मार्ग मे आडो फिर गयो ये फाड़ गयो म्हारी चुनड़ी,,,,,,,

रस्ते रस्ते जाउ मजि ना बोलू ना चालू
म्हारी मटकी का टुकड़ा करगयो ये
फाड़ गयो म्हारी चुंदरी ,,,,,,,,,,,,,,,,,,

ग्वालिया को टोलो म्हार जबरन आडो फिरग्यो
म्हार मुक्का की मचकागयो ये
फाड़ गयो म्हारी चुंदरी,,,,,,,

एक दिन की बात कोनि नितकि रोलि मचाव
केता केता हिवड़ो भर गयो ये
फाड़ गयो म्हारी चुंदरी,,,,,,,,,,,

ओ थारो लालो थारो बलो क्यो महान लटवाव
मोहन महर मन मे बसगयो ये
फाड़ गयो म्हारी चुंदरी ,,,,,,,,,

Yashoda Kubad Kanai Kargyo Ye
You tore my clothes and stripped them naked

I was going to Mathura with a jug of butter
Marg me aado phir gayo ye phad gayo mhari chundi,,,,

Go along the way, don’t talk, don’t turn on
You have broken our jug
Faad Gayo Mhari Chundari ,,,,,,,,,

The shepherds forced me to turn around
Mhar punch ki machkagayo ye
Faad Gayo Mhari Chundari,,,,

It is not a matter of one day
How many hives are filled
Faad Gayo Mhari Chundari,,,,,,

O Tharo Lalo Tharo Balo Kyo Mahan Latwav
Mohan Mahar has settled in my mind
Faad Gayo Mhari Chundari ,,,,,

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