अनेकों जन्म मरण के चक्र से होते हुए जीव को मनुष्य योनि मिलती है।मनुष्य योनि जीव के कल्याण हेतू होती है।जिसमें मनुष्य अपने कर्तव्य का पालन करें। मनुष्य को चाहिए कि अपने मन और आत्मा की सहायता से अपना उद्धार करे।मनुष्य योनि में आकर अगर मनुष्य ने दीन दुखियों पशु पक्षी जानवरों की सेवा नहीं की तो मनुष्य जीवन व्यर्थ है ।चाहे कितने भी तीर्थ कर लो वह व्यर्थ ही चले जाएंगे क्योंकि वह सब कार्य तो केवल अपने लिए अपने स्वार्थ के लिए किए गए हैं और जो कार्य केवल अपने स्वार्थ के लिए किए जाते हैं निश्चित रूप से उससे फल मिलने की कल्पना भी नहीं की जा सकती नित्य हम चाहे मंदिर मस्जिद गुरुद्वारा परमेश्वर के किसी भी घर जा कर पूजा कर ले पूजा भी व्यर्थ ही चली जाएगी क्योंकि वह केवल अपने स्वार्थ के लिए किया गया कार्य है अपितु दीन दुखियों को दान देने से जरूर कुछ पाप कम हो सकते हैं l
गरीब दीन दुखियों जानवरों पशु पक्षियों की सेवा करने वाले उस परमपिता परमेश्वर के प्यारे होते हैं और उन्हें बिना कोई पूजा पाठ किए हुए भी स्वर्ग में सबसे ऊपर स्थान मिलता है।
जय जय श्री राधेकृष्ण जी।श्री हरि आपका कल्याण करें
Through the cycle of many births and deaths, the creature gets a human vagina. Human vagina is for the welfare of the organism. Man should save himself with the help of his mind and soul. If man does not serve the oppressed animals and birds by coming into the vagina, then human life is useless. No matter how many pilgrimages he does, he will go in vain because he All the work is done only for our own selfishness and the work which is done only for our selfishness surely cannot even imagine to get the fruit from it, whether we go to temple, mosque, gurudwara, any house of God. Worship by worshiping will also go in vain because it is only work done for one’s own selfishness, but some sins can definitely be reduced by donating to the poor and downtrodden. Those who serve the poor, oppressed animals, animals and birds are dear to that Supreme God and they get the highest place in heaven even without reciting any worship. Jai Jai Shri Radhekrishna ji. Shri Hari bless you